15 August 1947 की रात 12 बजे ही हमारा देश क्यों आजाद हुआ?

हमारा पूरा देश हर साल 15 August,1947 के दिन का जश्न मनाता है. इसी दिन हमारे देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि इस दिन में ऐसी क्या खास बात है जो हमारा देश इसी दिन यानी 15 August 1947 को रात 12 बजे ही आजाद हुआ. हमारे देश को इसी दिन आजादी क्यों मिली? तो आइए आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा क्यों है कि हमारे देश को 15 August 1947 की रात 12 बजे ही आजादी क्यों मिली…
साल 1947 ही क्यों चुना गया?


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जहां एक ओर गांधीजी के जनांदोलन से जनता आजादी के लिए जागरूक थी, वहीं दूसरी ओर सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था. साल 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के समय पर अंग्रेजों की आर्थिक हालत बहुत खराब हो गई थी.
वहीं साल 1945 के ब्रिटिश चुनावों में लेबर पार्टी की जीत ने भारत की आजादी की राह आसान कर दी, क्योंकि उन्होंने अपने मैनिफेस्टो में भारत जैसी दूसरी इंग्लिश कॉलोनियों को भी आजाद करने की बात थी. इसको लेकर कई मतभेद और हंगामे हुए लेकिन इसके बाद भी भारतीय नेताओं की बात लार्ड वेवेल से शुरू हो गयी. फरवरी, 1947 में लार्ड माउंटबैटन को भारत का आखरी वाइसराय चुना गया और साथ ही उन्हें ये जिम्मेदारी भी दी गई कि भारत को व्यवस्थित तरीके से आजादी मिले.

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पहली योजना में ये तय किया गया कि भारत को जून, 1948 में आजाद किया जाएगा. वाइसराय बनने के तुरंत बाद ही लार्ड माउंटबैटन ने भारतीय नेताओं से बात शुरू कर दी. उधर जिन्ना और नेहरू के बीच बंटवारे को ले कर पहले से ही विवाद चल रहा था. जिन्ना ने एक अलग देश बनाने की मांग की और इसी के चलते भारत के कई हिस्सों में साम्प्रदायिक दंगे शुरू हो गए. माउंटबैटन की ऐसे हालात की उम्मीद नहीं थी, इसीलिए इससे पहले कि हालात और बिगड़े, आजादी साल 1948 की जगह 1947 में ही देने की बात तय हो गयी.
15 August की तारीख ही क्यों चुनी गई


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15 August की तारीख को चुनने का कारण ये था कि लार्ड माउंटबैटन 15 August की तारीख को शुभ मानते थे क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के समय 15 August, 1945 को जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण किया था और उस समय लार्ड माउंटबैटन अलाइड फोर्सेज के कमांडर थे.
रात 12 बजे का ही Time क्यों

जब लार्ड माउंटबैटन ने आजादी की तारीख 3 जून, 1948 से बदलकर 15 अगस्त, 1947 कर दी तो देश के ज्योतिषियों को ये फैसला रास नहीं आया क्योंकि वो इस तारीख को शुभ नहीं मानते थे. वो इस तारीख को अमंगल और अपवित्र मानते थे. इसके चलते लार्ड माउंटबैटन को दूसरी कई तारीखें भी बताई गईं, लेकिन वो 15 August पर अडिग थे.
इसके बाद ज्योतिषियों ने इसका एक रास्ता निकाला. उन्होंने 14 और 15 अगस्त की रात 12 बजे का समय तय किया क्योंकि अंग्रेजों के हिसाब से दिन 12 AM पर शुरू होता है लेकिन हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से सूर्योदय पर.


इसके लिए ज्योतिषियों ने नेहरू जी से भी कहा था कि उन्हें अपनी आजादी का भाषण अभिजीत मुहूर्त यानी 11:51 PM से 12:39 AM के बीच ही खत्म करना होगा. भाषण के बाद शंखनाद किया जाएगा और एक नए देश के जन्म की गूंज दुनिया तक पहुंचाई जाएगी.

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